भ्रष्टाचार = गुड टेररिज्म
भारत में आचार आचरण को कहते हैं , और भ्रष्ट आचरण को भ्रस्टाचार भारत में अगर हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई के बीच एकता का अगर एक उदहरण रखना हो तो वो भ्रष्टाचार हो सकता है , ये सब को जोड़ के रखा है , इसमें सब का बराबर हिस्सा है , इस में आरक्षण के कोई नियम कायदे लागू नहीं होते , भ्रस्टाचार एक आदर्श भारत की झलक दिखता है , भ्रष्टाचार एक ऐसी चीज है जो हमने WESTERN कल्चर से नहीं लिया , हमने इसकी परिभाषा खुद गढ़ी है , जो कि गुड टेररूरिस्म और बाद टेररिज्म कि तरह है , जब भ्रष्टाचार हमारे अपने परिवारजन करें जो तो वो ऊपर कि कमाई होती है और जब कोई हमसे करे तो हराम की | देश ने इस ऊपरी कमाई को रोकने के लिए बहुत प्रदर्शन किये पर दुसरो की कमाई , अपनी कमाई नहीं , अन्ना आये आंदोलन लाये देश घर से बहार निकल आया इस उम्मीद में की अब दुसरो की कमाई बंद होगी मगर उस आंदोलन ने देश को एक CM दे दिया मगर ऊपरी कमाई उस CM के घर क बाहर जमते हुए प्रदुषण की तरह बढ़ती गयी , फिर इस देश में युगपुरुष द्वारा काले धन के ऊपर सर्जिकल स्ट्राइक हुई , पूरा देश लाइन में आ गया वो परिवार भी गरीब दिखने की कतार में खड़ा हो गयी जिनकी दादी माँ ने ४० साल पहले गरीबी हटाने का वादा किआ था , INDIA TODAY के हिसाब से 105 जान गयीं पर फिर भी ये जालिम दुनिया दुसरो की ऊपरी कमाई रोकने में नाकामयाब रही , दुसरो को नुक्सान पहुँचाना कब सिद्ध हुआ है भला ?
भलाई सिर्फ इसमें है की आप गुड भ्रष्टाचार की तरफ केंद्रित रहिये और बेड भ्रष्टाचार को उसी तरह भुला दीजिये जैसे अपने CAG रिपोर्ट , पेट्रोल की कीमत , डॉलर की उछाल को भुला रखा है , अपने बेहेन की शादी उस घर में कीजिये जहाँ लड़का सरकारी नौकरी वाला हो और जिनके पापा बोलेन की तनखाह तो 30000 ही है पर ऊपर कि कमाई से इतना हो जाता है की तनखाह को छूने की जरुरत नहीं पड़ती है , और अपने आप को और सबसे जरुरी अपने छोटे भाई को ये सलाह दीजिये की सरकारी नौकरी ही पाना है और जब वो पूछे की सरकारी ही क्यों ? तो कह दीजियेगा की सरकारी में आराम बहुत है , यही आराम भले हमे आज इस कगार में ला कि खड़ा कर दिया हो की देश की हर सरकारी कंपनी या तो आधी बिक चुकी हैं या बिकने कि कगार में हैं , सोचने वाली बात हैं की सरकारी नौकरी उन्हें ही मिलती हैं जो पहले अपने क्लास कि अव्वल छात्र हुआ करते थे और अब उन्हें मिलती हैं जो अपने जिला कि सबसे होनहार हैं और ऐसे अव्वल छात्र अंदर जा के कैसे क्षीण हो जाते हैं की उनकी अन्नदाता अपना अन्नदाता ढूंढ़ने में लग जाती है खैर वो दूसरी बेहेस है , तब तक के लिए इस GOOD CORRUPTION रूपी वरदान का आनंद उठाइये |
भारत में आचार आचरण को कहते हैं , और भ्रष्ट आचरण को भ्रस्टाचार भारत में अगर हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई के बीच एकता का अगर एक उदहरण रखना हो तो वो भ्रष्टाचार हो सकता है , ये सब को जोड़ के रखा है , इसमें सब का बराबर हिस्सा है , इस में आरक्षण के कोई नियम कायदे लागू नहीं होते , भ्रस्टाचार एक आदर्श भारत की झलक दिखता है , भ्रष्टाचार एक ऐसी चीज है जो हमने WESTERN कल्चर से नहीं लिया , हमने इसकी परिभाषा खुद गढ़ी है , जो कि गुड टेररूरिस्म और बाद टेररिज्म कि तरह है , जब भ्रष्टाचार हमारे अपने परिवारजन करें जो तो वो ऊपर कि कमाई होती है और जब कोई हमसे करे तो हराम की | देश ने इस ऊपरी कमाई को रोकने के लिए बहुत प्रदर्शन किये पर दुसरो की कमाई , अपनी कमाई नहीं , अन्ना आये आंदोलन लाये देश घर से बहार निकल आया इस उम्मीद में की अब दुसरो की कमाई बंद होगी मगर उस आंदोलन ने देश को एक CM दे दिया मगर ऊपरी कमाई उस CM के घर क बाहर जमते हुए प्रदुषण की तरह बढ़ती गयी , फिर इस देश में युगपुरुष द्वारा काले धन के ऊपर सर्जिकल स्ट्राइक हुई , पूरा देश लाइन में आ गया वो परिवार भी गरीब दिखने की कतार में खड़ा हो गयी जिनकी दादी माँ ने ४० साल पहले गरीबी हटाने का वादा किआ था , INDIA TODAY के हिसाब से 105 जान गयीं पर फिर भी ये जालिम दुनिया दुसरो की ऊपरी कमाई रोकने में नाकामयाब रही , दुसरो को नुक्सान पहुँचाना कब सिद्ध हुआ है भला ?
भलाई सिर्फ इसमें है की आप गुड भ्रष्टाचार की तरफ केंद्रित रहिये और बेड भ्रष्टाचार को उसी तरह भुला दीजिये जैसे अपने CAG रिपोर्ट , पेट्रोल की कीमत , डॉलर की उछाल को भुला रखा है , अपने बेहेन की शादी उस घर में कीजिये जहाँ लड़का सरकारी नौकरी वाला हो और जिनके पापा बोलेन की तनखाह तो 30000 ही है पर ऊपर कि कमाई से इतना हो जाता है की तनखाह को छूने की जरुरत नहीं पड़ती है , और अपने आप को और सबसे जरुरी अपने छोटे भाई को ये सलाह दीजिये की सरकारी नौकरी ही पाना है और जब वो पूछे की सरकारी ही क्यों ? तो कह दीजियेगा की सरकारी में आराम बहुत है , यही आराम भले हमे आज इस कगार में ला कि खड़ा कर दिया हो की देश की हर सरकारी कंपनी या तो आधी बिक चुकी हैं या बिकने कि कगार में हैं , सोचने वाली बात हैं की सरकारी नौकरी उन्हें ही मिलती हैं जो पहले अपने क्लास कि अव्वल छात्र हुआ करते थे और अब उन्हें मिलती हैं जो अपने जिला कि सबसे होनहार हैं और ऐसे अव्वल छात्र अंदर जा के कैसे क्षीण हो जाते हैं की उनकी अन्नदाता अपना अन्नदाता ढूंढ़ने में लग जाती है खैर वो दूसरी बेहेस है , तब तक के लिए इस GOOD CORRUPTION रूपी वरदान का आनंद उठाइये |